
सर से चादर बदन से क़बा ले गई,
ज़िन्दगी हम फ़क़ीरों से क्या ले गई|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सर से चादर बदन से क़बा ले गई,
ज़िन्दगी हम फ़क़ीरों से क्या ले गई|
बशीर बद्र