
खुलते भी भला कैसे आँसू मेरे औरों पर,
हँस-हँस के जो मैं अपने हालात बरतता हूँ ।
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
खुलते भी भला कैसे आँसू मेरे औरों पर,
हँस-हँस के जो मैं अपने हालात बरतता हूँ ।
राजेश रेड्डी