
बदन चुरा के वो चलता है मुझसे शीशा-बदन,
उसे ये डर है कि मैं तोड़ फोड़ दूंगा उसे|
राहत इन्दौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
बदन चुरा के वो चलता है मुझसे शीशा-बदन,
उसे ये डर है कि मैं तोड़ फोड़ दूंगा उसे|
राहत इन्दौरी