
आ रहे हैं मुझको समझाने बहुत,
अक़्ल वाले कम हैं, दीवाने बहुत|
महेन्द्र सिंह बेदी ‘सहर’
आसमान धुनिए के छप्पर सा
आ रहे हैं मुझको समझाने बहुत,
अक़्ल वाले कम हैं, दीवाने बहुत|
महेन्द्र सिंह बेदी ‘सहर’