
तेरी मानिंद तेरी याद भी ज़ालिम निकली,
जब भी आई है मेरा दिल ही दुखाने आई|
कैफ़ भोपाली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तेरी मानिंद तेरी याद भी ज़ालिम निकली,
जब भी आई है मेरा दिल ही दुखाने आई|
कैफ़ भोपाली