
दर ओ दीवार पे शकलें सी बनाने आई,
फिर ये बारिश मेरी तनहाई चुराने आई|
‘कैफ़’ भोपाली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दर ओ दीवार पे शकलें सी बनाने आई,
फिर ये बारिश मेरी तनहाई चुराने आई|
‘कैफ़’ भोपाली