
हज़ारों रत्न थे उस जौहरी की झोली में,
उसे न कुछ भी मिला जो अगर-मगर में रहा ।
गोपालदास “नीरज”
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हज़ारों रत्न थे उस जौहरी की झोली में,
उसे न कुछ भी मिला जो अगर-मगर में रहा ।
गोपालदास “नीरज”