
हर धड़कते पत्थर को, लोग दिल समझते हैं,
उम्र बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में|
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हर धड़कते पत्थर को, लोग दिल समझते हैं,
उम्र बीत जाती है, दिल को दिल बनाने में|
बशीर बद्र