
गुज़र गया वो ज़माना कहूँ तो किस से कहूँ,
ख़याल दिल को मेरे सुब्ह ओ शाम किसका था|
दाग़ देहलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
गुज़र गया वो ज़माना कहूँ तो किस से कहूँ,
ख़याल दिल को मेरे सुब्ह ओ शाम किसका था|
दाग़ देहलवी