
नयी-नयी आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है,
कुछ दिन शहर में घूमे लेकिन, अब घर अच्छा लगता है।
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
नयी-नयी आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है,
कुछ दिन शहर में घूमे लेकिन, अब घर अच्छा लगता है।
निदा फ़ाज़ली