
हारे हुए परिन्दे ज़रा उड़ के देख तो,
आ जायेगी जमीन पे छत आसमान की|
गोपालदास ‘नीरज’
आसमान धुनिए के छप्पर सा
हारे हुए परिन्दे ज़रा उड़ के देख तो,
आ जायेगी जमीन पे छत आसमान की|
गोपालदास ‘नीरज’