
जुल्फों के पेंचो-ख़म में उसे मत तलाशिये,
ये शायरी जुबां है किसी बेजुबान की|
गोपालदास ‘नीरज’
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जुल्फों के पेंचो-ख़म में उसे मत तलाशिये,
ये शायरी जुबां है किसी बेजुबान की|
गोपालदास ‘नीरज’
बहुत सुन्दर |
बहुत बहुत धन्यवाद जी।