
मुझसे क्या बात लिखानी है कि अब मेरे लिये |
कभी सोने कभी चांदी के क़लम आते हैं ||
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मुझसे क्या बात लिखानी है कि अब मेरे लिये |
कभी सोने कभी चांदी के क़लम आते हैं ||
बशीर बद्र