
वो जैसे सर्दियों में गर्म कपड़े दे फ़क़ीरों को |
लबों पे मुस्कुराहट थी मगर कैसी हिक़ारत सी ||
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
वो जैसे सर्दियों में गर्म कपड़े दे फ़क़ीरों को |
लबों पे मुस्कुराहट थी मगर कैसी हिक़ारत सी ||
बशीर बद्र