
दिल वो दरवेश है जो आँख उठाता ही नहीं |
इस के दरवाज़े पे सौ अहले करम आते हैं ||
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दिल वो दरवेश है जो आँख उठाता ही नहीं |
इस के दरवाज़े पे सौ अहले करम आते हैं ||
बशीर बद्र