
उदासी पतझड़ों की शाम ओढ़े रास्ता तकती |
पहाड़ी पर हज़ारों साल की कोई इमारत सी ||
बशीर बद्र
आसमान धुनिए के छप्पर सा
उदासी पतझड़ों की शाम ओढ़े रास्ता तकती |
पहाड़ी पर हज़ारों साल की कोई इमारत सी ||
बशीर बद्र