
काश मुमकिन हो कि इक काग़ज़ी कश्ती की तरह,
ख़ुदफरामोशी के दरिया में बहा दें यादें|
अहमद फ़राज़
आसमान धुनिए के छप्पर सा
काश मुमकिन हो कि इक काग़ज़ी कश्ती की तरह,
ख़ुदफरामोशी के दरिया में बहा दें यादें|
अहमद फ़राज़
beautiful
Thanks a lot ji.