
जिस तरह आज ही बिछड़े हों बिछड़ने वाले,
जैसे इक उम्र के दुःख याद दिला दें यादें|
अहमद फ़राज़
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जिस तरह आज ही बिछड़े हों बिछड़ने वाले,
जैसे इक उम्र के दुःख याद दिला दें यादें|
अहमद फ़राज़