आज एक बार फिर से मैं हिन्दी सिनेमा जगत से जुड़े ऐसे महान कवि की रचना शेयर कर रहा हूँ, जिन्होंने राष्ट्रीय भावना से जुड़े अनेक अमर गीत हमारी फिल्मों को और हमारे साहित्य कोश को दिए हैं| जी हां मैं स्वर्गीय कवि प्रदीप जी की बात कर रहा हूँ, जिनको सिनेमा जगत में उनके अमूल्य योगदान के लिए ‘दादा साहब फाल्के’ सम्मान प्रदान किया गया था और क्योंकि वे अस्वस्थ होने के कारण पुरस्कार लेने के लिए नहीं आ सके थे, इसलिए केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज जी ने उनके मुंबई स्थित आवास पर जाकर, उनके चरण छूकर उनको यह सम्मान भेंट किया था|
लीजिए प्रस्तुत है स्वर्गीय कवि प्रदीप जी का यह गीत-

पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के
मंजिल पे आया मुल्क हर बला को टाल के
सदियों के बाद फ़िर उड़े बादल गुलाल के,
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के|
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के|
देखो कहीं बरबाद न होवे ये बगीचा
इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग़ शहीदों ने बाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के|
दुनियाँ के दांव पेंच से रखना न वास्ता
मंजिल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता,
भटका न दे कोई तुम्हें धोखे में डाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के|
एटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया,
तुम हर कदम उठाना जरा देखभाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के|
आराम की तुम भूल-भुलैया में न भूलो
सपनों के हिंडोलों में मगन हो के न झूलो,
अब वक़्त आ गया मेरे हंसते हुए फूलों
उठो छलांग मार के आकाश को छू लो|
तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के|
आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|
********
सचमुच, प्रदीप जी महान कवि थे,जिन्होंने बहुत सारे देश भक्ति गीत लिखे है |
बिल्कुल सत्य है, हार्दिक धन्यवाद जी।
Nice composition. Satute to poet late Pradeep ji
Very true, thanks a lot ji.