
जब ज़ुल्फ़ की कालिख़ में घुल जाए कोई राही,
बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं हॊता|
मीना कुमारी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जब ज़ुल्फ़ की कालिख़ में घुल जाए कोई राही,
बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं हॊता|
मीना कुमारी