
काली रात के मुँह से टपके, जाने वाली सुबह का जूनून,
सच तो यही है, लेकिन यारों, यह कड़वा सच बोले कौन|
राही मासूम रज़ा
आसमान धुनिए के छप्पर सा
काली रात के मुँह से टपके, जाने वाली सुबह का जूनून,
सच तो यही है, लेकिन यारों, यह कड़वा सच बोले कौन|
राही मासूम रज़ा