
मैं तो सोया था मगर बारहा तुझसे मिलने,
जिस्म से आँख निकलकर तेरे घर तक पहुँची|
राहत इन्दौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मैं तो सोया था मगर बारहा तुझसे मिलने,
जिस्म से आँख निकलकर तेरे घर तक पहुँची|
राहत इन्दौरी