
ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे,
बारिशों में पतंगें उड़ाया करो|
राहत इन्दौरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे,
बारिशों में पतंगें उड़ाया करो|
राहत इन्दौरी