
ख़रीदते तो ख़रीदार ख़ुद ही बिक जाते,
तपे हुए खरे सोने का भाव ऐसा था|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’
आसमान धुनिए के छप्पर सा
ख़रीदते तो ख़रीदार ख़ुद ही बिक जाते,
तपे हुए खरे सोने का भाव ऐसा था|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’