
कोई ठहर न सका मौत के समन्दर तक,
हयात ऐसी नदी थी, बहाव ऐसा था|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’
आसमान धुनिए के छप्पर सा
कोई ठहर न सका मौत के समन्दर तक,
हयात ऐसी नदी थी, बहाव ऐसा था|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’