
वो जिसका ख़ून था वो भी शिनाख्त कर न सका,
हथेलियों पे लहू का रचाव ऐसा था|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’
आसमान धुनिए के छप्पर सा
वो जिसका ख़ून था वो भी शिनाख्त कर न सका,
हथेलियों पे लहू का रचाव ऐसा था|
कृष्ण बिहारी ‘नूर’