
औरों जैसे होकर भी हम बाइज़्ज़त हैं बस्ती में,
कुछ लोगों का सीधापन है, कुछ अपनी अय्यारी है|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
औरों जैसे होकर भी हम बाइज़्ज़त हैं बस्ती में,
कुछ लोगों का सीधापन है, कुछ अपनी अय्यारी है|
निदा फ़ाज़ली