
मन बैरागी, तन अनुरागी, क़दम-क़दम दुश्वारी है,
जीवन जीना सहल न जानो, बहुत बड़ी फ़नकारी है|
निदा फ़ाज़ली
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मन बैरागी, तन अनुरागी, क़दम-क़दम दुश्वारी है,
जीवन जीना सहल न जानो, बहुत बड़ी फ़नकारी है|
निदा फ़ाज़ली