
आकाश के माथे पर तारों का चरागाँ है,
पहलू में मगर मेरे जख्मों का गुलिस्तां,
आंखों से लहू टपका दामन में बहार आई|
अली सरदार जाफ़री
आसमान धुनिए के छप्पर सा
आकाश के माथे पर तारों का चरागाँ है,
पहलू में मगर मेरे जख्मों का गुलिस्तां,
आंखों से लहू टपका दामन में बहार आई|
अली सरदार जाफ़री