
अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे,
कातिल नज़र आती है दुनिया की हवा जैसे,
रोती है मेरे दिल पर बजती हुई शहनाई|
अली सरदार जाफ़री
आसमान धुनिए के छप्पर सा
अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे,
कातिल नज़र आती है दुनिया की हवा जैसे,
रोती है मेरे दिल पर बजती हुई शहनाई|
अली सरदार जाफ़री