
मैं उसको देखने को तरसती ही रह गई,
जिस शख़्स की हथेली पे मेरा नसीब था|
अंजुम रहबर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मैं उसको देखने को तरसती ही रह गई,
जिस शख़्स की हथेली पे मेरा नसीब था|
अंजुम रहबर