
क्यों मुझमें ढूंढता है वह पहला सा ऐतबार,
जब उसकी ज़िन्दगी में कोई और आ गया|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
क्यों मुझमें ढूंढता है वह पहला सा ऐतबार,
जब उसकी ज़िन्दगी में कोई और आ गया|
वसीम बरेलवी