
जब भी चाहें एक नई सूरत बना लेते हैं लोग,
एक चेहरे पर कई चेहरे सजा लेते हैं लोग|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जब भी चाहें एक नई सूरत बना लेते हैं लोग,
एक चेहरे पर कई चेहरे सजा लेते हैं लोग|
क़तील शिफ़ाई