आज गुलज़ार साहब का लिखा एक गीत शेयर कर रहा हूँ| गुलज़ार साहब शायरी में प्रयोग करने के लिए जाने जाते हैं, एक अनूठे अंदाज़ में वो अक्सर अपनी बात कह जाते हैं|
गुलज़ार साहब का यह गीत फिल्म ‘मेरे अपने’ के लिए किशोर कुमार साहब और मुकेश जी के स्वरों में फिल्माया गया था और इसके लिए संगीत दिया था सलिल चौधरी जी ने| लीजिए प्रस्तुत है गुलजार साहब का यह तंज़ से भरा गीत –

हाल-चाल ठीक-ठाक है
सब कुछ ठीक-ठाक है|
बी.ए. किया है, एम.ए. किया
लगता है वह भी ऐंवे किया
काम नहीं है वरना यहाँ
आपकी दुआ से सब ठीक-ठाक है|
आबो-हवा देश की बहुत साफ़ है
क़ायदा है, क़ानून है, इंसाफ़ है,
अल्लाह-मियाँ जाने कोई जिए या मरे
आदमी को खून-वून सब माफ़ है|
और क्या कहूं?
छोटी-मोटी चोरी, रिश्वतखोरी
देती है अपा गुजारा यहाँ
आपकी दुआ से बाक़ी ठीक-ठाक है|
गोल-मोल रोटी का पहिया चला
पीछे-पीछे चाँदी का रुपैया चला,
रोटी को बेचारी को चील ले गई
चाँदी ले के मुँह काला कौवा चला|
और क्या कहूं?
मौत का तमाशा, चला है बेतहाशा
जीने की फुरसत नहीं है यहाँ
आपकी दुआ से बाक़ी ठीक-ठाक है
हाल-चाल ठीक-ठाक है|
आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|
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यह एक सुंदर फिल्म थी , जिसका यह बेहद खूबसूरत गीत है |
जी, सही बात है, हार्दिक धन्यवाद।