
रोज़ सवेरे दिन का निकलना, शाम में ढलना जारी है,
जाने कब से रूहों का ये ज़िस्म बदलना जारी है|
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
रोज़ सवेरे दिन का निकलना, शाम में ढलना जारी है,
जाने कब से रूहों का ये ज़िस्म बदलना जारी है|
राजेश रेड्डी
बहुत सुंदर
हार्दिक धन्यवाद जी।