
लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है,
मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ हिन्दी मुस्कुराती है|
मुनव्वर राना
आसमान धुनिए के छप्पर सा
लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है,
मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ हिन्दी मुस्कुराती है|
मुनव्वर राना
वाह, बहुत सुंदर |
हार्दिक धन्यवाद जी।