
दिल की गलियों से तेरी याद निकलती ही नहीं,
सोहनी फिर इसी पंजाब में आ जाती है|
मुनव्वर राना
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दिल की गलियों से तेरी याद निकलती ही नहीं,
सोहनी फिर इसी पंजाब में आ जाती है|
मुनव्वर राना