
तुम तो शायर हो “क़तील” और वो इक आम सा शख़्स,
उसने चाहा भी तुझे और जताया भी नहीं|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तुम तो शायर हो “क़तील” और वो इक आम सा शख़्स,
उसने चाहा भी तुझे और जताया भी नहीं|
क़तील शिफ़ाई