
रोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने,
आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
रोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने,
आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं|
क़तील शिफ़ाई