
उनको भी है किसी भीगे हुए मंज़र की तलाश,
बूँद तक बो न सके जो कभी सहराओं में|
क़तील शिफ़ाई
आसमान धुनिए के छप्पर सा
उनको भी है किसी भीगे हुए मंज़र की तलाश,
बूँद तक बो न सके जो कभी सहराओं में|
क़तील शिफ़ाई