
उसको भी जला दुखते हुए मन एक शोला लाल भभूका बन।
यूं आंसू बन बह जाना क्या यूं माटी में मिल जाना क्या॥
इब्ने इंशा
आसमान धुनिए के छप्पर सा
उसको भी जला दुखते हुए मन एक शोला लाल भभूका बन।
यूं आंसू बन बह जाना क्या यूं माटी में मिल जाना क्या॥
इब्ने इंशा