
तबस्सुम उसके होठों पर है उसके हाथ में गुल है,
मगर मालूम है मुझको वो ख़ंजर लेके आया है|
राजेश रेड्डी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
तबस्सुम उसके होठों पर है उसके हाथ में गुल है,
मगर मालूम है मुझको वो ख़ंजर लेके आया है|
राजेश रेड्डी