
नश्शा दोनों में है साक़ी मुझे ग़म दे के शराब,
मय भी पी जाती है, आँसू भी पिए जाते हैं|
शमीम जयपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
नश्शा दोनों में है साक़ी मुझे ग़म दे के शराब,
मय भी पी जाती है, आँसू भी पिए जाते हैं|
शमीम जयपुरी