
दुनिया-ए-मोहब्बत में हमसे हर अपना पराया छूट गया,
अब क्या है जिस पर नाज़ करें, इक दिल था वो भी टूट गया|
शमीम जयपुरी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
दुनिया-ए-मोहब्बत में हमसे हर अपना पराया छूट गया,
अब क्या है जिस पर नाज़ करें, इक दिल था वो भी टूट गया|
शमीम जयपुरी