
मैं नज़र से पी रहा था कि ये दिल ने बददुआ दी,
तेरा हाथ ज़िंदगी-भर कभी जाम तक न पहुँचे।
शकील बदायूँनी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मैं नज़र से पी रहा था कि ये दिल ने बददुआ दी,
तेरा हाथ ज़िंदगी-भर कभी जाम तक न पहुँचे।
शकील बदायूँनी
वाह
हार्दिक धन्यवाद जी।