
जब भी मिलते हैं तो कहते हैं कैसे हो “शकील”,
इस से आगे तो कोई बात नहीं होती है|
शकील बदायूँनी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
जब भी मिलते हैं तो कहते हैं कैसे हो “शकील”,
इस से आगे तो कोई बात नहीं होती है|
शकील बदायूँनी