
सहर भी, रात भी, दोपहर भी मिली लेकिन,
हमीं ने शाम चुनी है, नहीं उदास नहीं|
गुलज़ार
आसमान धुनिए के छप्पर सा
सहर भी, रात भी, दोपहर भी मिली लेकिन,
हमीं ने शाम चुनी है, नहीं उदास नहीं|
गुलज़ार