
मैं क़त्ल तो हो गया तुम्हारी गली में लेकिन,
मेरे लहू से तुम्हारी दीवार गल रही है|
जावेद अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
मैं क़त्ल तो हो गया तुम्हारी गली में लेकिन,
मेरे लहू से तुम्हारी दीवार गल रही है|
जावेद अख़्तर