
भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे,
हम आँसुओं की तरह मुस्कुराने वाले थे|
वसीम बरेलवी
आसमान धुनिए के छप्पर सा
भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे,
हम आँसुओं की तरह मुस्कुराने वाले थे|
वसीम बरेलवी