
चमकती रेत पर ये ग़ुस्ल-ए-आफ़ताब तेरा,
बदन तमाम सुनहरा दिखाई पड़ता है|
जाँ निसार अख़्तर
आसमान धुनिए के छप्पर सा
चमकती रेत पर ये ग़ुस्ल-ए-आफ़ताब तेरा,
बदन तमाम सुनहरा दिखाई पड़ता है|
जाँ निसार अख़्तर